suvichar

સુવિચાર-સવારથી સાંજ સુધી કામ કરવાથી માણસ એટલુ નથી થાકતો,જેટલુ એ ગુસ્સા કે ચિંતાને કારણે એક કલાકમા થાકી જાય છે. -જેમ્સ એલન .

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શુક્રવાર, 6 જૂન, 2014



हिन्दू युवा जागरण
मै कत्लखानों मै कसाइयों के सम्मुख ठेल दी जाती हूँ। चार दिनों तक मुझे भूखा रखा
जाता है ताकि मेरा हीमोग्लोबिन गलकर माँस से चिपक जाये। फिर मुझे घसीट कर
लाया जाता है क्योंकी मै मूर्छित रहती हूँ। मुझ पर 200 डिग्री सेल्सियस वाष्प में
उबलता हुआ पानी डाला जाता है। मै तडप उठती हूँ ...
हे मेरा दूध पीने वालों मै तुम्हे याद करती हूँ ।मुझे कठोरता से पीटा जाता है ताकि मेरा
चमडा आसानी से उतर जाये। मेरी दौनो टाँगे बाँध कर मुझे उल्टा लटका दिया जाता है।
फिर मेरे बदन से सारा चमडा निकाल लिया। जाता है। सुनों जीव धारियों अभी भी मैने
प्राण नहीं त्यागे है। मै कातर निगाहों से देखती हूँ शायद इन कसाइयों के मन में मनुष्यता
का जन्म हो। किन्तु इस समय मुझसे पोषित होने वाला कोई भी मानव मुझे बचाने नहीं
आता। मेरे चमडे की चाहत रखने वाले दुष्ट कसाई मेरी जीवित अवस्था में ही मेरा चमडा
उतार लेते है और तडप कर मै प्राण त्याग देती हूँ...
इस पावन और पवित्र भारत भूमी पर ऐसा कोई नहीं है क्या जो धर्म और कानून का पालन कर मेरे प्राण बचाये। तुम्हारे द्वारा किये गये क्रूरतम हत्याचारों को सहकर भी मै तुम्हे श्राप नहीं दे सकती ना .................क्योंकि मै माँ हूँ ना....

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